उत्तर प्रदेश के बहराइच जनपद के रिसिया ब्लॉक की एक महिला कई सालों से आवास के लिए भटक रही है। लेकिन जिम्मेदार अभी तक उसे आवास उपलब्ध नहीं करा पाए हैं। इस कारण गरीब महिला गिरी हुई कच्ची कोठरी में जीवन गुजारने को मजबूर है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि जब राजा सुहेलदेव की नगरी का यह हाल है तो अन्य जिलों का क्या होगा।
हम बात कर रहे हैं ऐसी गरीब महिला की, जिसके दो बच्चों के सिर पर उसका खुद का पक्का मकान नहीं है। महिला ग्राम प्रधान और जिम्मेदार अधिकारियों की चौखट के चक्कर काट-काटकर थक चुकी है। कागजों में दिल्ली से लखनऊ तक योजनाएं बहुत सी चलती हैं। लेकिन धरातल तक आते-आते कागजों में ही सिमटकर रह जाती हैं। मजबूर लाचार लोगों के कुछ हाथ लगता है तो सिर्फ सरकार के हवाहवाई दावे। रिसिया ब्लॉक क्षेत्र के अलीनगर खुर्द गांव सभा की रहने वाली गरीब परिवार की महिला रहमतुल गिरी हुई कच्ची कोठरी में किसी से टीन उधार लेकर 7 साल से अधिक समय से अपना जीवन गुजार रही है।
तेज धूप और बारिश होने पर उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लेकिन सरकारी नुमाइंदों को उनकी परेशानी नहीं दिख रही है। करीब 5 साल पहले तेज बारिश के चलते जो उसकी खण्डहर कच्ची कोठरी थी, गिरकर ढह गई थी। प्रदेश सरकार ने बारिश में मकान गिरने से लोगों को बेघर मानकर प्राथमिकता के आधार पर आवास देने का फरमान जारी किया था। जिसपर जिले के अधिकारियों ने अमल भी शुरू कर दिया था। ग्राम प्रधान ने भी उसे आवास के लिए सपना दिखाया लेकिन महिला की पहुँच न होने के चलते उसका नाम सिर्फ जबान और कागजो तक सीमित रह गया वहीं कच्चे घर के घिरे 5 साल बीतने पर भी आज तक सरकारी सिस्टम गरीब महिला रहमतुल को एक आवास उपलब्ध नहीं करा सका है। अब सरकार लाख दावे करे कि वह गरीबो के लिए फ्री राशन की व्यवस्था करा रही है लेकिन इस गरीब महिला के पास अपना राशन कार्ड तक नही है जिसे दो वक्त के खाने के लिए राशन भी मिलना मुश्किल है।
इस सम्बन्ध में ग्राम विकास अधिकारी रुचि राव ने बताया कि मामले की उनको पूरी जानकारी है। आवास की प्रक्रिया पेंडिंग है चालू होते ही उनका नाम मुख्यमंत्री आवास सूची में शामिल करते हुए प्राथमिकता के आधार पर आवास दिलाने के लिए प्रयास किए जाएगा। वहीं सिस्टम से लाचार और हताश रहमतुल देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हाथ जोड़ कर फरियाद लगा रही है, 'साहेब मुझे भी आवास दे दो'। आवास न होने की वजह से उनके बच्चे खुले आसमान के नीचे रह रहे है।
जब गरीब महिला की स्थिति देखते गांव के ग्राम प्रधान से सवाल किया तो जबाब ऐसा था कि पूरे सिस्टम पर ही एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा हो गया। ग्राम प्रधान ने कहा, ' भले ही मेरी तरफ से बहुत प्रयास किया गया है। लेकिन क्या करें। ऊपर से रहमतुल के आवास को लेकर मंजूरी ही नही हुई। (Report by Israr Ahmad Journalist)